Ratangarh Mata Mandir Aarti Time Table
Morning Time- 7:00 A.M.
Evening Time- 8:00 P.M.
Kuwar Maharaj Mandir Aarti Time Table
Morning Time- 7:30 A.M.
Evening Time- 8:30 P.M.
Ratangarh Mata Mandir Aarti Time Table
Ratangarh Mata Mandir
Mahant Shri- Rajesh Maharaj JI

रतनगढ़ वाली माता मंदिर का इतिहास-​

Ratangarh Mata Mandir- Ratangarh Wali Mata: रतनगढ़ वाली माता का इतिहास- बात लगभग 600 साल पुरानी है जब मुस्लिम तानाशाह अलाउद्दीन खिलजी का जुल्म ढहाने का सिलसिला जोरों पर था तभी खिलजी ने अपनी बद नियत के चलते सेंवढा से रतनगढ़ में आने वाला पानी बंद कर दिया था तो रतन सिंह की बेटी मांडूला व उनके भाई कुंवर गंगा रामदेव जी ने अल्लादीन खिलजी के फैसले का कड़ा विरोध किया इसी विरोध के चलते अलाउद्दीन खिलजी ने वर्तमान मंदिर रतनगढ़ वाली माता का इतिहास परिसर में बने किले पर आक्रमण कर दिया जोकि राजा रतन सिंह की बेटी मांडुला को नागवार गुजरा राजा रतन सिंह की बेटी मांडुला बहुत सुंदर थी उन पर मुस्लिम आक्रांता ओं की बुरी नजर थी इसी बुरी नजर के साथ खिलजी की सेना ने महल पर आक्रमण किया था मुस्लिम आक्रमणकारियों की बुरी नजर से बचने के लिए बहन मांडुला तथा उनके भाई कुंवर गंगा रामदेव जी ने जंगल में समाधि ले ली तभी से यह मंदिर अस्तित्व में आया तथा इस मंदिर की चमत्कारिक कथाएं भी बहुत हैं।

रतनगढ़ वाली माता मंदिर का विशेष महत्व-

Ratangarh Mata Mandir- Ratangarh Wali Mata Mandir : रतनगढ़ वाली माता मंदिर का विशेष महत्व- यहां पर दो मंदिर हैं एक है रतनगढ़ वाली माता का तथा दूसरा उनके भाई कुंवर जी महाराज का कहा जाता है कि कुंवर महाराज जी का इतना तेज था कि जब वह जंगल में शिकार करने जाते थे तब सारे जहरीले जानवर अपना विष बाहर निकाल देते थे इसलिए जब किसी इंसान या जानवर को कोई भी विषैला जीव काट लेता है तो उसके घाव पर कुंवर महाराज जी के नाम से बंध लगाया जाता है बंध लगाने के बाद पीड़ित व्यक्ति पर विष का प्रभाव खत्म हो जाता है फिर पीड़ित व्यक्ति भाई दूज यानी दीपावली के दूसरे दिन कुंवर महाराज जी के मंदिर में दर्शन करता है इसके बाद वह पूरी तरह स्वस्थ हो जाता है।

मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज ने भी इस मंदिर का लोहा माना है– जैसा कि आपको ऊपर बताया गया कि यह मंदिर काफी ऐतिहासिक भी है कहां जाता है हिंदू स्वाभिमान की रक्षा करने वाले हिंदू हृदय सम्राट महाराज छत्रपति शिवाजी महाराज को औरंगजेब ने पुत्र समेत धोखे से बंदी बना लिया था शिवाजी महाराज के गुरु समर्थ स्वामी रामदास तथा दादा कोण देव महाराष्ट्र से दतिया आए तथा रतनगढ़ मंदिर में आकर रुके जहां पर उन्होंने साधना की तथा शिवाजी महाराज को औरंगजेब की कैद से छुड़ाने की योजना बनाई तथा सारी कूटनीतिक तैयारियां भी इसी मंदिर से की गई थी कहा जाता है औरंगजेब को भेंट के तौर पर फलों की टोकरी या भेजी जाती थी गुरु रामदास ने इसी बात का फायदा उठाकर अपने एक शिष्य को औरंगजेब का विश्वास जीतने के लिए कहा जब वह विश्वास जीतने में सफल रहा तो भेंट स्वरूप औरंगजेब के यहां फलों से भरी टोकरी भिजवाई गई जो कि ऊपर से ढकी हुई थी उसके बाद है सिलसिला चलता रहा शिवाजी महाराज सारी रणनीति समझ चुके थे और उन्हीं टोकरी ओं का फायदा उठाकर शिवाजी महाराज अपने पुत्र समेत उनमें बैठ कर बाहर आ गए आने के बाद उन्होंने माता के मंदिर में माथा टेका तथा मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया तथा माता के मंदिर में सर्वप्रथम घंटा शिवाजी महाराज नहीं चढ़ाया था।

मंदिर में घंटों का इतिहास तथा 1935 किलो का घंटा-

Ratangarh Mata Mandir-  मंदिर में घंटों का इतिहास तथा 1935 किलो का घंटा– माता के मंदिर में सबसे पहला घंटा मराठा सम्राट वीर छत्रपति शिवाजी महाराज ने चढ़ाया था उसके बाद यहां घंटा चढ़ाने की शुरुआत हुई चंबल या आस-पास का कोई भी ऐसा डाकू नहीं है जिसने मां के मंदिर में मस्तक ना टेका हो घंटा ना चढ़ाया हो यहां हजारों की तादाद में घंटे चढ़ते हैं दरअसल मंदिर प्रबंधन श्रद्धालुओं द्वारा चलाए जाने वाले घंटों की नीलामी करता था 2015 में तत्कालीन कलेक्टर प्रकाश जांगरे ने फैसला किया कि इनकी नीलामी ना करा कर छोटे-छोटे घंटों को मिलाकर एक बड़े घंटे का निर्माण करवाया जाए इसका कार्य ग्वालियर के मूर्तिकार प्रभात राय को सौंपा गया पहले घंटा 1100 किलो का बनवाया जा रहा था उसके बाद उसका वजन 1935 किलो कर दिया गया जिसको की 16 अक्टूबर 2015 में मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी तथा नरोत्तम मिश्रा जी के द्वारा देश का सबसे बजनी तथा सबसे तेज बजने वाला घंटा चढ़ाया गया इस घंटे को 9 धातुओं से मिलाकर बनाया गया है इस घंटे की खासियत यह है कि इतना भारी होने के बाद भी इसको बालक बालिका या कोई भी 80 साल का बुजुर्ग बड़ी ही आसानी से बजा सकता है इस घंटे का वजन लगभग 2 टन है जिन पर तथा जिन पिलर पर इस घंटी को टांगा गया है उन पिलर का वजन 3 टन है।

Events of Ratangarh Mata Mandir :रतनगढ़ का मेला-

Ratangarh Mata Mandir-  Ratangarh Mata Mela:रतनगढ़ का मेला- रतनगढ़ में भाई दूज पर प्रसिद्ध मेला लगता है बहन मांडुला तथा भाई कुंवर गंगा रामदेव जी इन दोनों भाई-बहनों में इतना गहरा प्रेम था कि जब बहन ने समाधि ली तो भाई कुंवर गंगा रामदेव जी ने भी समाधि ले ली तभी से यहां भाई बहन के विशेष पर्व दूज पर विशाल मेला लगता है इस मेले में 25 से 30 लाख लोग अपनी रतनगढ़ का मेला उपस्थिति माता के चरणों में दर्ज कराते हैं तथा माता रतनगढ़ वाली तथा कुंवर देव जी की कृपा प्राप्त करते हैं।

 

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