इस बार भी लख्खी मेला तीन दिन चलेगा। 20 अक्टूबर को दीपावली है।


लख्खी मेला 22 को • 10-10 बेड के दो अस्थाई अस्पताल बनेंगे, 10 यात्री प्रतीक्षालयों में रुक सकेंगे श्रद्धालु

रतनगढ़ माता मंदिर  | सेंवढ़ा / दतिया

इस बार भी दो दिन चलेगा मेला…. लख्खी मेला इस बार भी तीन दिन चलेगा। 20 अक्टूबर को दीपावली है। पंचांग भेद होने के कारण 21 अक्टूबर को भी अमावस्या रहेगी। ऐसे में 22 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा होगी और 23 अक्टूबर को दौज मनाई जाएगी। कुछ श्रद्धालु दीपावली के बाद लगातार त्योहार मनाते हैं, ऐसे में 21 को गोवर्धन पूजा और 22 को दौज पूजा करेंगे। यानी 21 अक्टूबर की शाम से ही श्रद्धालुओं का मेला मंदिर पर पहुंचना शुरू हो जाएगा। यह मेला 24 अक्टूबर तक चलेगा।
यह सुविधा भी मिलेंगी……


विंध्याचल पर्वत की श्रंखला पर विराजमान रतनगढ़ माता मंदिर पर आयोजित होने वाले लख्खी मेले में इस बार व्यवस्थाएं पूरी तरह से बदली हुई नजर आएंगीं। पहली बार प्रशासन ने प्रवेश और निकासी के रास्ते अलग कर दिए हैं, ताकि श्रद्धालुओं की भीड़ व्यवस्थित रूप से मंदिर तक पहुंचे और लौट सके। मंदिर पहुंचने से पहले श्रद्धालुओं को थकान न हो, इसके लिए 10 यात्री प्रतीक्षालय बनाए जा रहे हैं। यहां रुकने, पानी पीने और भीड़ छंटने तक आराम की सुविधा रहेगी।

स्वास्थ्य इंतजामों को लेकर भी प्रशासन सतर्क है। दो अस्थायी अस्पताल बनेंगे, जिनमें 10-10 बेड, डॉक्टर और स्टाफ 24 घंटे तैनात रहेंगे। इसके साथ ही 8 क्लीनिक भी
बनाई जाएंगीं ।
दीपावली की दौज पर लगने वाले इस मेले में लाखों की संख्या में भीड़ आती है। 24 घंटे के अंदर 25 से 30 लाख श्रद्धालु माता के दर्शन करते हैं। इस बार मेला 22 अक्टूबर है। तैयारियों की शुरूआत का दौर शुरू हो चुका है। अब अंतिम दौर की तैयारियां चल रहीं हैं। मंदिर क्षेत्र, घाट और पूरे मेला परिसर में
साफ-सफाई, जल व्यवस्था, प्रकाश, मेडिकल सहायता और सुरक्षा के लिए पुलिस व स्वयंसेवकों की तैनाती की जा रही है।

प्रशासन ने इस बार एलईडी डिस्प्ले, माइक अनाउंसमेंट और दिशा सूचक बोर्ड के जरिए श्रद्धालुओं को मार्गदर्शन देने की योजना भी बनाई है।
नदी की गहराई में जाने से रोकने के लिए 2200 फीट का महाजाल लगाया जाएगा
कुंवर बाबा का स्थान भी माता मंदिर की तरह बनेगा दर्शन का प्रमुख केंद्र ।
माता की सीढ़ियों से चढ़कर, कुंअर बाबा की सीढ़ियों से लौटेंगे
मंदिर परिसर में इस बार श्रद्धालुओं के आने-जाने का रास्ता अलग-अलग तैयार किया है। बसई मलक की ओर से आने वाले श्रद्धालु रतनगढ़ माता की सीढ़ियां चढ़कर सीधे मंदिर तक पहुंचेंगे। यहां से पहाड़ी के रास्ते कुंअर बाबा मंदिर तक जाएंगे। यहीं से वापसी का रास्ता बना हुआ है। जवारे वाले चबूतरे के नए रास्ते पर निर्मित सीढ़ियों से श्रद्धालुओं को वापसी भेजा जाएगा। इससे पहाड़ पर भीड़ आपस में नहीं टकराएगी और श्रद्धालु आसानी से मंदिर परिसर से बाहर हो जाएंगे।


करीब 2500 से ज्यादा श्रद्धालु धर्मशालाओं में ठहर सकेंगे बसई मलक पार्किंग से लेकर मंदिर के रास्ते तक 10 यात्री प्रतीक्षालय तैयार कराए गए हैं। एक यात्री प्रतीक्षालय में 100 से अधिक श्रद्धालु ठहर सकते हैं। मंदिर के नीचे तक बने इन विश्राम ग्रहों में पैदल चलकर आने वाले श्रद्धालुओं को अपनी थकान मिटाने का मौका मिलेगा। इसके अलावा रतनगढ़ सेवा समिति के द्वारा भी यज्ञ शाला के पीछे खुला विश्राम स्थल तैयार किया गया है। जिसमें एक साथ 1 हजार से अधिक श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था की गई है।

»4 हजार स्क्वायर फीट में कुंअर बाबा भवन बनकर तैयार है। यहां परिक्रमा मार्ग को भी चौड़ा गया है। इससे मंदिर से निकलने के तीन रास्ते हो गए हैं।
सिंध नदी में 3-4 फीट की गहराई के बाद 2200 फीट का जाल लगाया गया है, ताकि श्रद्धालु गहराई में नहीं जा सकें।
» पहाड़ी की चौड़ाई बढ़ाई गई है। यहां पहाड़ को
काटकर नया सीसी रोड बनाया गया है। इससे श्रद्धालुओं को निकलने में आसानी होगी। » 1 हजार लीटर क्षमता वाले 12 वाटर कूलर से लोगों को ठंडा पानी उपलब्ध होगा। ■ पहाड़ी के नीचे और ऊपर दोनों ही जगह भंडार गृह स्नान ग्रह भोजन बनाने के स्थल और ठहरने की धर्मशालाएं बनकर तैयार हैं।
मेले को लेकर पूरी तरह से तैयार हैं

कलेक्टर के निर्देशन में शारदीय नवरात्र में रिहर्सल हो गई है। जो कमी मिली है उस पर 10 दिन से लगातार काम चल रहा

गढ़वा प्रत्येक श्रद्धालु को सुरक्षित दर्शन कराना हमारी जिम्मेदारी है। प्रशासन मेले को लेकर पूरी तरह तैयार है। – अशोक अवस्थी, एसडीएम, सेक्ड़ा।

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