Miracle at Ratangarh Mata Mandir यहां होता है चमत्कार:रतनगढ़ मेला: पहले नदी पर पहुंचकर किया स्नान

यहां होता है चमत्कार:रतनगढ़ मेला: पहले नदी पर पहुंचकर किया स्नान-
रतनगढ़ माता मंदिर क्षेत्र बुधवार काे जयकाराें से गूंज उठा। यहां लख्खी मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। यहां सर्पदंश पीड़ितों के लिए मानो चमत्कार होता है लेकिन मंदिर तक पहुंचने का मरसेनी, चरोखरा वाला रास्ता बीते साल सिंध नदी का पुल टूटने के बाद से बंध है। इसी रास्ते पर सिंध नदी पड़ती है जिसमें नहाकर ही श्रद्धालु मंदिर पर दर्शन के लिए जाते थे। सिंध नदी में नहाते ही सर्पदंश पीड़ितों को मैर (सांप के डंसने के बाद बेसुध होना) पड़ता था, इसके बाद मंदिर प्रागंण में पहुंचकर वे ठीक होते लेकिन इस बार चाकचौबंद व्यवस्था के कारण किसी भी रास्ते से जाने पर सिंध नदी नहीं मिली।
ऐसे में श्रद्धालु डबरा, ग्वालियर या भिंड के रास्ते पहुंच रहे हैं। नदी में स्नान न कर पाने पर कई सर्पदंश पीड़ितों को मैर नहीं आए। बड़ी संख्या में ऐसे सर्पदंश पीड़ित रहे जो 4-5 किलोमीटर चलकर सिंध नदी तक पहुंचे, वहां स्नान किया तब मैर पड़ा। इसके बाद परिजन उन्हें कुंअर बाबा के मंदिर तक ले गए, जहां उनके बंध काटे गए। सर्पदंश पीड़ितों के लिए यहां करीब 3500 स्ट्रेचर की व्यवस्था की गई। प्रशासन का दावा है कि करीब 10 हजार लोगों के सर्पदंश कटे। आज भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आने की संभावना विंध्याचल पर्वत की शृंखला पर स्थित रतनगढ़ माता और कुंअर बाबा मंदिर पर कार्तिक मास शुक्ल पक्ष द्वितीय तिथि को सर्पदंश पीड़ितों के बंध कटते हैं। यहां हर साल लख्खी मेला लगता है। अधिकांश श्रद्धालु उप्र व जिले के आसपास सटे क्षेत्र से आता है। बुधवार की रात तक मंदिर पर श्रद्धालुओं के आने का क्रम जारी रहा। गुरुवार को भी दौज तिथि होने के चलते श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा होने की उम्मीद है। इसके लिए अधिकारियों की ड्यूटी गुरुवार तक के लिए लगाई गई है। वहीं ग्वालियर और भिंड के अफसरों की ड्यूटी भी गुरुवार शाम तक रखी गई है। एडीएम और मेले के नोडल अधिकारी रूपेश उपाध्याय के मुताबिक, इस बार अधिकारियों और कर्मचारियों की पहले 8-8 घंटे और फिर 12-12 घंटे के लिए ड्यूटी लगाई गई। सिंध नदी के रास्ते जाने वाले लोगों को दिखाना पड़ा आधार कार्ड सिंध नदी के के अंदर से होकर श्रद्धालु मंदिर तक नहीं पहुंचें इसके लिए चरोखरा और भगुवापुरा पर पुलिस ने चेकिंग की। दोनों ही रास्तों को बेरिकेडिंग से सील कर दिया गया। इस रास्ते पर पड़ने वाले मरसैनी खुर्द, मरसैनी बुजुर्ग, चरोखरा, अतरेंटा आदि गांव के लोगों को अपने ही गांव तक जाने के लिए अपने-अपने आधार कार्ड दिखाना पड़े तब जाकर उन्हें गांव की ओर जाने के लिए एंट्री दी गई। वहीं बसई मलक से भी लोगांे को आगे नहीं जाने दिया गया। नदी के घाट से सभी नाव हटा दी गईं। सिर्फ जिला प्रशासन के अधिकारियों और पुलिसकर्मियों के आवागमन के लिए नाव की व्यवस्था की गई। छोटे पुल पर आवागमन बंद, 25 किमी तक पैदल सफर सेंवढ़ा में सिंध नदी के छोटे पुल पर मंगलवार की शाम पांच बजे से ही आवागमन को पूरी तरह से रोक दिया गया। यहां वाहनों से आने वाले श्रद्धालुओं को छोटे पुल से ही पैदल चलकर जाना पड़ा। इससे श्रद्धालुओं के उत्साह में तनिक भी कमी नहीं हुई। वे रतनगढ़ माता और कुंअर बाबा के जयकारे लगाते हुए सिंध नदी के रास्ते 25 किमी का पैदल सफर करते हुए मंदिर तक पहुंचे और माई के दर्शन किए। आरती में कलेक्टर और सीईओ ने बजाई झालर, एसपी ने डमरू रतनगढ़ माता की आरती में प्रशासनिक अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल हुए। कलेक्टर संजय कुमार और जिपं सीईओ कमलेश भार्गव झालर बजाते हुए नजर आए। एसपी अमनसिंह राठौर ने डमरू बजाया। मंदिर की सुविधाओं को श्रद्धालुओं ने सराहा हमने पार्किंग व्यवस्था के साथ-साथ मंदिर पर मिलने वाली सुविधाओं को इस बार और बेहतर किया। सूर्यग्रहण के बाद भी लोग मंगलवार की शाम 4 बजे से दर्शनों के लिए पहुंचना शुरू हो गए थे। कई श्रद्धालुओं ने दो से तीन बार भी दर्शन किए। बुधवार रात तक अनुमान के मुताबिक करीब 20 लाख लोगों ने दर्शन किए। अभी लोगों के आने का क्रम जारी है। हमने अगले दिन के भी व्यवस्था कर रखी है। हमारी सुविधाओं को लोगों ने सराहा है। -रूपेश उपाध्याय, एडीएम एवं नोडल अधिकारी, रतनगढ़ मेला

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