ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” – महामंत्र का अर्थ

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ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” – महामंत्र का अर्थ

1. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे का अर्थ

1. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे का अर्थ

संसार के आधार पर ब्रह्म ज्ञान की माता देवी सरस्वती, सम्पूर्ण संकल्पों की माँ देवी महालक्ष्मी ,सम्पूर्ण कर्मों की स्वामिनी महाकाली तथा काम और क्रोध का विनाश करनी वाली सच्चिदानंद अभिन्नरूपा चामुण्डा को नमस्कार है, पूर्ण समर्पण है।
यह एक सिद्ध मंत्र है जिसका मन्न से जाप करने से तीनो देवियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। माता सरस्वती से विद्या ,माँ लक्ष्मी से धन-वैभव ,और माँ महाकाली से शक्ति प्राप्त होती है। एक मनुष्य को जीवन काल में तीन ही चीज़ों (विद्या ,धन,और शक्ति ) की आवयष्कता होती है जी की इस मंत्र के जाप से निरंतर कार्य करते हुए प्राप्त होती है। इस मंत्र के नियमित और निष्ठां के जाप मात्रा से सारे व्यवधान दूर हो जाते है।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे मंत्र के हर एक अक्षर का मतलब समझते है -

– ॐ परब्रह्म का सूचक है जिससे यह समस्त जगत व्याप्त होता है।
ऐं बीज मन्त्र माँ सरस्वती से सम्बंधित है। ऐं – ऐं यह वाणी, ऐश्वर्य, बुद्धि तथा ज्ञान प्रदात्री माता सरस्वती का बीज मन्त्र है। इस बीज मन्त्र का जापक विद्वान हो जाता है। यह वाक् बीज है,वाणी का देवता अग्नि है, सूर्य भी तेज रूप अग्नि ही है, सूर्य से ही दृष्टि मिलती है; दृष्टि सत्य की पीठ है, यही सत्य परब्रह्म है।
ह्रीं बीज मन्त्र महालक्ष्मी से सम्बंधित है। ह्रीं – ह्रीं यह ऐश्वर्य, धन ,माया प्रदान करने वाली मातामहालक्ष्मी का बीज मंत्र है। इसका उदय आकाश से है । पीठ विशुद्ध में, आयतन सहस्रार में,किन्तु श्रीं का उदय आकाश में होने पर भी आयतन आज्ञाचक्र में है।

क्लीं – बीज मन्त्र महाकाली का द्योतक है।

क्लीं— क्लीं यह शत्रुनाशक, दुर्गति नाशिनी महाकाली का बीज मन्त्र है। इस बीज में पृथ्वी तत्व की प्रधानता सहित वायु तत्व है जोकि प्राणों का आधार है

चामुण्डायै – चण्ड और मुण्ड नामक राक्षसों के संहार करने माँ दुर्गा को चामुण्डा कहा जाता है। विज्ञजनों द्वारा चण्ड का अर्थ प्रवृत्ति और मुण्ड का अर्थ निवृत्ति के रूप में भी लिया जाता है। ये दोनों भाई काम और क्रोध के रूप भी माने गए हैं। इनकी संहारक शक्ति का नाम ही चामुण्डा है। जो स्वयं प्रकाशमान है।

विच्चे – विच्चे का अर्थ समर्पण या नमस्कार है।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे महामंत्र को नवार्ण मंत्र भी कहा जाता है जो देवी भक्तों में सबसे प्रशस्त मंत्र माना गयाहै। इस मन्त्र के जाप से महासरस्वती, महाकाली तथा महालक्ष्मी माता की कृपा तथा आशीर्वाद प्राप्त होता है।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे मंत्र को नवार्ण मंत्र क्यों कहते है

दुर्गा की इन नौ शक्तियों को जागृत करने के लिए दुर्गा के ‘नवार्ण मंत्र‘ का जाप किया जाता है। नव का अर्थ नौ तथा अर्ण का अर्थ अक्षर होता है। अतः नवार्ण नौ अक्षरों वाला मंत्र है, नवार्ण मंत्र ‘ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे’ है।

नौ अक्षरों वाले इस नवार्ण मंत्र के एक-एक अक्षर का संबंध दुर्गा की एक-एक शक्ति से है और उस एक-एक शक्ति का संबंध एक-एक ग्रह से है।

* नवार्ण मंत्र के नौ अक्षरों में पहला अक्षर ऐं है, जो सूर्य ग्रह को नियंत्रित करता है। ऐं का संबंध दुर्गा की पहली शक्ति शैल पुत्री से है, जिसकी उपासना ‘प्रथम नवरात्र’ को की जाती है। दूसरा अक्षर ह्रीं है, जो चंद्रमा ग्रह को नियंत्रित करता है। इसका संबंध दुर्गा की दूसरी शक्ति ब्रह्मचारिणी से है, जिसकी पूजा दूसरे नवरात्रि को होती है। तीसरा अक्षर क्लीं है, चौथा अक्षर चा, पांचवां अक्षर मुं, छठा अक्षर डा, सातवां अक्षर यै, आठवां अक्षर वि तथा नौवा अक्षर चै है। जो क्रमशः मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु तथा केतु ग्रहों को नियंत्रित करता है।

भक्त लोग इस मंत्र को माता के नव रूपों से सम्बंधित बताते है। दुर्गा माँ की शक्तियां को इनके क्रमशः रूप में शैलपुत्री,ब्रह्मचारिणी,चन्द्रघण्टा,कूष्माण्डा,स्कंदमाता,कात्यायनी,कालरात्रि,महागौरी,सिद्धिदात्री जिनकी नवरात्रि को आराधना करते है।

नवार्ण मंत्र के आगे ॐ क्यों लगाते है-

नवार्ण मंत्र के आगे ॐ क्यों लगाते है-मन में यह जिज्ञासा उठती है कि नवार्ण मन्त्र तो है ।।ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।। तो फिर इसमें ॐ क्यों लगाया जाता है? क्योंकिक्यों क्यों ॐ सहित यह मन्त्र दस वर्णोंवाला हो जाता है।इस मंत्र का जाप करने के लिए स्नान के बाद, माँ दुर्गा के मूर्ति या चित्र के सामने आसान पर बैठकर, रुद्राक्ष की माला से 1 माला का प्रतिदिन जाप करना चाहिए। वैसे तो नवाक्षरी मंत्र साधना कभी की जा सकती है लेकिन इसके लिए नवरात्री के दिनों का विशेष महत्व है क्योंकिक्यों

इन दिनों में इस मंत्र के शक्ति कई गुना बढ़ जाती है।

इसका उत्तर है- किसी भी मन्त्र के आरम्भ में ॐ का सम्पुट लगा देने से वह मन्त्र और भी शक्तिशाली हो जाता है। जिस प्रकार रेल के डिब्बे से इंजन जुड़कर उन डिब्बों को गन्तव्य तक पहुँचा देती है, उसी प्रकार किसी भी मन्त्र के आगे ॐ जुड़कर वही कार्य करता है। इसलिये शास्त्रों में अनेक स्थानों पर, अनेक मन्त्रों में अर्थ न होते हुए भी ॐ का सम्पुट लगाया जाता है।

अगर अर्थ की दृष्टि से उन मन्त्रों को पढ़ें तो उन मन्त्रों में ॐ का कोई अर्थ नहीं निकलता है, फिर भी ॐ का सम्पुट लगा या जाता है; क्यों की ॐ परब्रह्म का द्योतक माना जाता है। इसी कारण नवार्ण मन्त्र के आरम्भ में ॐ लगाया जाता है। और इस मन्त्र को ।।ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।। के रूप में साधक जाप करते हैं।

इस प्रकार सम्पूर्ण मन्त्र का अर्थ हुआ संसार के आधार परब्रह्म () ज्ञान की अधिष्ठा त्री देवी सरस्वती (ऐं)ऐंऐं सम्पूर्ण संकल्पों की अधिष्ठात्री देवी महालक्ष्मी (ह्रीं)ह्रींह्रीं सम्पूर्ण कर्मों की स्वामिनी महाकाली (क्लीं)क्लींक्लीं चण्ड-मुण्ड (काम-क्रोध) का विनाश करनेवाली चामुण्डा देवी को नमस्कार है, पूर्ण समर्पण है।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे मंत्र के लाभ

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे मंत्र के लाभ-
नवार्ण मंत्र का जाप 108 दाने की माला पर कम से कम तीन बार अवश्य करना चाहिए। यद्यपि नवार्ण मंत्र नौ अक्षरों का ही है, परंतु विजयादशमी की महत्ता को ध्यान में रखते हुए, इस मंत्र के पहले ॐ अक्षर जोड़कर इसे दशाक्षर मंत्र का रूप दुर्गा सप्तशती में दे दिया गया है, लेकिन इस एक अक्षर के जुड़ने से मंत्र के प्रभाव पर कोई असर नहीं पड़ता। वह नवार्ण मंत्र की तरह ही फलदायक होता है। अतः कोई चाहे, तो दशाक्षर मंत्र का जाप भी निष्ठा और श्रद्धा से कर सकता है।

तीनो माताओ का आशीर्वाद-इस इस मंत्र को देवी भक्तों में सबसे प्रशस्त मंत्र माना गया है। इस मन्त्र के जाप से महासरस्वती, महाकाली तथा महालक्ष्मी माता की कृपा तथा आशीर्वाद प्राप्त होता है।शायद ही कोई ऐसा मंत्र हो जिसका जाप करने से तीनो दिव्या देवियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह इतना सिद्ध मंत्र की शत्रु पर भी विजय प्राप्त हो जाता है।

भाग्य का लाभ-कहा जाता है कि बिना भाग्य के सफलता नही मिलती है। हम चाहे कितने भी कर्म, और मेहनत करे जरुरी नहीं है कि सफलता मिलेगी। सफलता के लिए साफ़ मन, मेहनत के साथ साथ भाग्य का साथ होना भी बहुत आवश्यक होता है। तो यदि आप शुद्ध मन रखकर पूरी मेहनत से अपने कार्यो को करते है तब इस मंत्र के जाप से आपको भाग्य का साथ मिलेगा और सफलता प्राप्त होना निश्चित है।

आर्थिक लाभ-जिन व्यक्तियो के ऊपर ऋण का बोझ बढ़ गया है और उन्हें उधार वापिस करने का कोई उपाय नहीं सूझ रहा, आर्थिक परेशानियां बढ़ गयी है। ऐसे व्यक्ति जब इस मंत्र का जप करते है, उनको रोजगार के अवसर मिलते है और रोजगार में लाभ से वैभव की प्राप्ति होती है।

विद्यार्थी जीवन में लाभ- जिन विद्यार्थियों को पढाई में मन नहीं लग रहा है और हर समय बेफालतू के विचार मन में आते रहते है। यह मंत्र ऐसे लोगों के मन को शांत करता है जिससे एकाग्रता बढ़ती है। जो विद्यार्थी किसी प्रतियोगी परीक्षा के लिए तैयारी कर रहे है उनके मन को लक्ष्य पर केंद्रित करता है। मेहनत के साथ भाग्य के मिल जाने से सफलता निश्चित होती है।

जीवन में शांति का लाभ- सभी उम्र के लोगों के लिए, इस मंत्र का जाप लाभकारी हैं मंत्र जप के फलस्वरूप व्यक्ति की समस्त इच्छाओ की पूर्ति होती है जिससे व्यक्ति के अंदर सम्पूर्णता का भाव उत्तपन्न होता है| और व्यक्ति का मन व जीवन में शांति आती है। परिणामस्वरूप, तनाव, अवसाद और चिंता गायब हो जाती है तथा साहस और ऊर्जा बढ़ती है। अगर आप Om Him Clim Chamundaye Vichche का जाप सच्चे मैं से करे तो सारे दुःख दूर हो जाते है।

आध्यात्मिक लाभ – इस मंत्र के नियमित जाप से कुण्डलिनी शक्ति जागृत होती है| साथ ही साथ शांत मन व जीवनको पाकर व्यक्ति आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर होता है| जिससे आध्यात्मिक उन्नति होती है|नकारात्मक ऊर्जा और ऊपरी बढाओ से छुटकारा यदि व्यक्ति काला जादू, भूत प्रेत बाधा से परेशान है| इस मंत्र का जाप करने से उत्तपन्न होने वाली शक्ति के भय से सभी नकारात्मक शक्तियां भाग जाती है|

समाज में सम्मान – इस मंत्र के नियमित जाप से उत्तपन्न होने वाली ऊर्जा, शक्ति के प्रभाव से शत्रु भी व्यक्ति के विचारो से सहमत होने लगते है और विचारो की प्रशांसा करते है| व्यक्ति को समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त होती है| जीवन खुशी से भर जाता है जो साधक सच्ची श्रद्धा और भक्ति के साथ इस मंत्र का जप करते हैं, उनके दिलों में एक अकथनीय आनंद का अनुभव होता हैं और उनके मन, दिमाग में हमेशा खुशियों का भाव बना रहता है।

मंत्र जाप के मानसिक लाभ – Om am him clim chamundaye vichche के सही से जाप करने से व्यक्ति की मानसिक शक्ति का विकास होता है, तनाव कम होता है और व्यक्ति को चेतना के उच्च स्तर पर ले जाता है। इस मंत्र के जाप से व्यक्ति की याददाश्त और एकाग्रता की शक्ति में भी सुधार होता है, यदि कोई व्यक्ति उपलब्धि हासिल करना चाहता है तो यह बहुत महत्वपूर्ण है। सत, चित्त आनंद स्वरुप माता आप तथा आपके परिवार पर सदैव कृपादृष्टि बनाये रखे ।समस्त जगत परब्रह्म की शक्ति है तथा वस्तुतः ब्रह्म की सत् शक्ति के आधार पर भौतिक सृष्टि की प्रतीति हो रही है, चित्त में चेतन जगत् की प्रतीति, आनंद से जगत् में प्रियता की प्रतीति है।

इस प्रकार जगत् सत्, चित्, आनंद रूप ही है, भ्रम से अन्य प्रतीत होता है।तीनो बीज परमात्मा के वाचक हैं। अभी आकृतियां सत्व तत्व में काली रूप , सभी प्रतीतियां चित्त तत्व में महालक्ष्मी रूप तथा सभी प्रीतियाँ आनंद तत्व में महासरस्वती रूप में ही विवर्त हैं

।।जय माता दी।।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे महामंत्र का शुद्ध उच्चारण

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे महामंत्र का शुद्ध उच्चारण-
(ओम्) ऐं (ऐं ऐम्) ह्रीं (ह्रीं ह्रीम्) क्लीं (क्लीं क्लीम्) चामुण्डायै विच्चे कुछ लोग चामुण्डायै को चामुण्डाय और विच्चे को विच्चै उच्चारण करते हैं। अनुरोध है की दोषपूर्ण उच्चारण से बचें। उच्चारण सही होने से कोई भी व्यक्ति जो इस मंत्र का जाप पूरी भक्ति और सही उच्चारण के साथ करता है, वह इस मंत्र के जाप से ही माता के आर्शीवाद से परम मोक्ष को प्राप्त कर सकता है। अंग्रेजी में इसको ऐसे तोड़कर पढ़ सकते है “Om Him Clim Chamundaye Vichche “

भक्त लोगों के मन में ऐसी धारणा है कि ऐं को ऐङ् ,ह्रीं को ह्रीङ्, क्लीं को क्लीङ् बोलना चाहिये। यह उच्चारण की दृष्टि से ग़लत है। अगर आपने किसी सिद्ध पुष्तक से इस मंत्र के उच्चारण सिखा हो तो ठीक है लेकिन अगर आपको जरा सा भी इस मंत्र के उच्चारण में संशय है तो आप अपने गुरु या पंडित से इस मंत्र के उच्चारण का शिक्षा जरूर लें। <br>

नोट- नवार्ण मंत्र का जाप बिना गुरु की आज्ञा से नहीं करें, कृपया गुरु के आदेश से ही करें, जय माता दी

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